Name | Image | Stages | Periods | Symptoms |
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गेहू | ![]() |
Vegetative stages | जनबरी से मार्च तक यह रोग पाया जाता है | संक्रमण की शुरूआती अवस्था में संक्रमित पत्तियों के दोनों ओर सफेद गोलाकार चूर्ण जैसे धब्बे पड़ जाते हैं। बाद के चरण में सफेद धब्बे बढ़ जाते हैं और पौधे की पूरी पत्ती, डंठल, तना और शाखाएँ सफेद चूर्ण बीजाणुओं से ढक जाती हैं और अंततः पत्तियां झड़ हो जाता है । |
धान | ![]() |
Cane formation stage | जुलाई से सितम्बर तक यह रोग पाया जाता है | |
गेहूं | ![]() |
Reproductive stage | मार्च में यह रोग पाया जाता है | पत्ती, म्यान, तना और पुष्प भागों पर भूरे सफेद चूर्ण की वृद्धि दिखाई देती है। चूर्णी वृद्धि बाद में काला घाव बन जाती है और पत्तियों और अन्य भागों के सूखने का कारण बनती है। |
मूंग | ![]() |
Reproductive stage | जुलाई से सितम्बर तक यह रोग पाया जाता है | पतियों के ऊपर हल्के छोटे छोटे भूरे रंग के दब्बे दिखाई देते है भूरे रंग के पत्ते गिर जाते है |
मूंग | ![]() |
Vegetative stages | जून से जुलाई तक यह रोग पाया जाता है | पत्तियों की निचली सतह पर छोटे – छोटे सफेद बिंदु देते हैं जो बाद में बड़ा सफेद धब्बा बना लेता हैं | रोग की तीव्रता के साथ सफेद धब्बों का आकार भी बढ़ता जाता है | |
मटर | ![]() |
फूल अवस्था | दिसंबर से जनवरी तक यह रोग पाया जाता है | सबसे पहले पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफ़ेद-धूसर धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं| पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद चूर्ण दिखाई देती हैं जो बाद में हल्के रंग के सफेद धब्बेदार क्षेत्र हो जाते हैं| ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाते हैं और निचली सतह को भी कवर करते हुए गोलाकार हो जाते हैं | |
पाउडरी मिल्डू ( Powdery Mildew )जो विशेष रूप से नर्सरी उत्पादन में बहुत गंभीर होता है। पाउडरी मिल्डू पोडोफेरा ल्यूकोट्रिचा नामक फफूंद के कारण होता है, जो पत्तियों, कलियों, नई ग्रोथ और फलों को प्रभावित करता है |
सबसे पहले पत्तियों के ऊपरी भाग पर सफ़ेद-धूसर धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग के पाउडर में बदल जाते हैं.ये फफूंद पौधे से पोषक तत्वों को खींच लेती है और प्रकाश संश्लेषण में बाधा डालती है जिससे पौधे का विकास रूक जाता है.रोग की वृद्धि के साथ संक्रमित भाग सूख जाता है और पत्तियां गिर जाती है.पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद चूर्ण दिखाई देती हैं जो बाद में हल्के रंग के सफेद धब्बेदार क्षेत्र हो जाते हैं.ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाते हैं |
रोग की रोकथाम के लिए प्रति 500 ग्राम घुलनशील सल्फर या थिओफिनेट मिथाइल 75 WP 300 ग्राम या प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें. पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 400 मिली या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23 SC का 200 मिली प्रति एकड़ 200 पानी में मिलाकर स्प्रे करें.जैविक उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा विरिडी 250 ग्राम/एकड़ + सूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें |