बेल वाले पौधों को फुसैरियम विल्ट रोग से कैसे बचाएं – बेल वाली सब्जियों को फुसैरियम विल्ट रोग से बचाने के लिए पौधों को 6.0-7.0 पीएच मान वाली मिट्टी में लगाना चाहिए। चूँकि नाइट्रोजन पोषक तत्वों की अधिकता के कारण पौधे फुसैरियम विल्ट रोग से प्रभावित हो सकते हैं, अतः नाइट्रोजन उर्वरक की निश्चित मात्रा ही पौधों को देनी चाहिए।
शुरुआत में पौधों की ऊपरी पत्तियां मुरझाने लगती हैं। इस रोग के होने पर पत्तियों के साथ पौधों के मुलायम भाग भी प्रभावित होते हैं। धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाता है। जड़ के पास तनों को फाड़ कर देखने पर अंदर काले, कत्थई या लाल रंग के धागों जैसे कवक दिखाई देते हैं।
इस रोग से बचने के लिए बुवाई से पहले बीज का उपचार करना जरूरी है। प्रति किलोग्राम बीज को 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी 1% डबल्यूपी से उपचारित करें। खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 40 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद में 1.5 से 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाकर खेत में समान रूप से मिलाएं। इसके अलावा मिट्टी उपचार मे आप खेत की तैयारी करते समय प्रति एकड़ 20 किलोग्राम यूरिया में 2 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी मिट्टी में मिलाएं या 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में कॉपर ऑक्सी क्लोराइड मिलाकर छिड़काव भी कर सकते हैं। रोग के लक्षण दिखने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लू.पी 0.2 प्रतिशत घोल को पौधों की जड़ों में डालें।