लीफ ब्लास्ट रोग


Alternate / Local Name:
ब्लास्ट रोग, झोंका,झुलसा रोग

Short Description:
इसे पत्ती झुलसा रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित रोग है। किसी भी अवस्था की फसल इस रोग की चपेट में आ सकती है। धान की खेती होने वाले लगभग सभी क्षेत्रों में इस रोग का प्रकोप होता है।
AFFECTED CROPS

Name Image Stages Periods Symptoms
धान Reproductive stages इस रोग का प्रकोप जुलाई से सितम्बर माह में अधिक होता है | ब्लास्ट रोग के कारण पत्तों के मध्य में धुरी के आकार के स्लेटी रंग के धब्बे और किनारों पर भूरे रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं।
धान Ripening stages सितम्बर से यह रोग पाया जाता है | पौधों की पत्तियों, तना, गांठों, पेनिफ्ल व बालियों पर दिखाई देती है |
धान Maturity stages सितम्बर से अक्तूबर तक यह रोग पाया जाता है | तने की गांठो तथा पेनिफल का भाग आंशिक अथवा पूर्णत: काला पड़ जाता है |

धान की फसल में कई तरह के फफूंद जनित रोग होते हैं। जिनमें लीफ ब्लास्ट रोग और नेक ब्लास्ट रोग भी शामिल है। यह रोग बहुत तेजी से फैलते हैं। इन रोगों के कारण धान की उपज में भारी कमी आती है। धान की बेहतर पैदावार के लिए इन रोगों पर नियंत्रण करना आवश्यक है। ब्लास्ट रोग धान की फसल के लिए सबसे विनाशकारी रोगों में से एक है। ब्लास्ट संक्रमण, रोपण या टिलरिंग स्टेज (जब पौधा शाखाये बनाता है) में ही पौधे को कमजोर कर देता है। इससे पौधे के विकास के बाद के चरणों में पौधे का अनाज भराव क्षेत्र हो जाता है और उपज बहुत कम हो जाती है।

रोग के प्रमुख लक्षण पौधों की पत्तियों, तना, गांठों, पेनिफ्ल व बालियों पर दिखाई देती है | इस रोग में पत्तियों पर आँख की आकृति अथवा सपिलाकार धब्बे दिखाई देते हैं, जो बीच में राख के रंग के तथा किनारों पर गहरे भूरे रंग के होते हैं | तने की गांठो तथा पेनिफल का भाग आंशिक अथवा पूर्णत: काला पड़ जाता है तना सुकड कर गिर जाता है | इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां काली-लाल होकर मुरझाने लगती हैं।

इस रोग के नियंत्रण के लिए ट्राईसाइक्लेजोल 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित कर के लगायें तथा आवश्यकता पड़ने पर1% कार्बेन्डाजिम का छिडकाव पुष्पन की अवस्था में करें | रोग प्रतिरोध प्रजातियों का उपयोग करें जैसे वी.एल. धान 206 , मझरा – 7, वी.एल.धान – 61 इत्यादि | इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर बाली निकलने के दौरान आवश्यकतानुसार 10–12 दिन के अन्तराल पर कार्बेन्डाजिम 50% घुलनशील धूल की 15–20 ग्राम मात्र को 15 ली. पानी में घोलकर छिडकाव करें |