धान का कीट यानि गंधी बग कीट से धान की फसल को बहुत नुकसान होता है। इसके आक्रमण से धान की पैदावार में भरी कमी आ जाती है। जिससे किसानों को फायदों की जगह नुकसान का सामना करना पड़ता है। जब धान के पौधों में बालियां बनती हैं और बालियों में दाने बनते है उस दौरान यह कीट कभी भी उत्पन्न हो सकते हैं। शाम के समय यह कीट एक गंदी बदबू छोड़ते हैं।
शुरुआत में यह कीट कोमल पत्तियों और तनों का रस चूसते हैं जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। धान में बालियां निकलने पर यह कीट दानों का दूध चूस लेते हैं। यह दानों को अंदर से खोखला बना देते हैं। इस कीट के प्रकोप से बालियां सफेद हो जाती हैं साथ ही कुछ दाने बदरंग भी हो जाते हैं।
इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ फसल में 150 मिलिलीटर इमिडाक्लोरपिड 17.5 प्रतिशत एससी जो की बाज़ार में कोन्फ़िडोर , विक्टर आदि नाम से उपलब्ध है, का छिड़काव करें या फिर 100 ग्राम थियामेथोक्सम जो की बाजार में एकतारा , ग्रीनतारा आदि नाम से उपलब्ध हैं का छिड़काव करें। बेहतर परिणाम के लिए छिड़काव सुबह 8 बजे से पहले या शाम 5 बजे के बाद करें। इस दवा का छिड़काव धान की बालियों पर करें। इसके अलावा प्रति एकड़ जमीन में 200 लीटर पानी में 400 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर भी छिड़काव कर सकते हैं।
Flowering to milky grain