अगेती झुलसा


Alternate / Local Name:
अगेती झुलसा

Short Description:
अगेती झुलसा दिसंबर महीने की शुरुआत में लगता है। अगेती झुलसा रोग आल्टनेरिय सोलेनाई नामक कवक के कारण होता है। इस रोग से आलू की फसल को सबसे अधिक नुकसान होता है। इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं।
AFFECTED CROPS

Name Image Stages Periods Symptoms
आलू अगेती झुलसा दिसंबर महीने की शुरुआत में लगता है। वनस्पति विकास चरण इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं। पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे - छोटे धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार एवं रंग में भी वृद्धि होती है। रोग का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं। तनों पर भी भूरे एवं काले धब्बे उभरने लगते हैं। कंद आकार में छोटे रह जाते हैं।

इसके प्रभाव से आलू छोटे व कम बनते हैं | बदली के मौसम एवं वातावरण में नमी होने पर यह रोग उग्र रूप धारण कर लेता है। चार से छह दिन में ही फसल बिल्कुल नष्ट हो जाती है।

इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं। पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे - छोटे धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार एवं रंग में भी वृद्धि होती है। रोग का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं। तनों पर भी भूरे एवं काले धब्बे उभरने लगते हैं। कंद आकार में छोटे रह जाते हैं।

बीज के उपचार के लिए, मेटालॅक्सील 8% + मैंकोजेब 64% @ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी वाले घोल तैयार करें. यह तैयार घोल को बीज कंद पर स्प्रे कर सकते हैं या बीज कंद को 30 मिनट के लिए इस घोल में डूबा कर बुवाई की जा सकती है| इसके बचाव के लिए खेत में अंतिम जुताई के समय या फसल में रोग के हल्के लक्षण दिखाई देने पर जैविक ट्राइकोडर्मा विरिडी की 500 ग्राम मात्रा या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस की 250 ग्राम मात्रा को 100 किलो गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ खेत में बिखेर दे| इस रोग पर नियंत्रण के लिए इंडोफिल M45 को 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इस रोग पर नियंत्रण के लिए साफ़ दवा को 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। रसायनिक उपचार द्वारा एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC की 300 मिली मात्रा या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP की 300 ग्राम मात्रा या मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP की 600 ग्राम मात्रा या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG की 500 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ खेत में आलू की फसल पर स्प्रे कर देने से रोग का प्रकोप मिट जाता है.