सफेद मक्खी


Alternate / Local Name:
सफेद मक्खी ,white fly

Short Description:
सफ़ेद मक्खी को अंग्रेजी में वाइट फ्लाई (White Fly In Cotton) के नाम से जाना जाता है। सफेद मक्खी छोटा सा तेज उडऩे वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीड़ा है। छोटा एवं हल्के होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक से दूसरे स्थान तक आसानी से चले जाते हैं।

इसके अंडाकार शिशु पतों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। जिन काली फंफूदी लग जाती है। यह कीड़े न कवेल रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं। कपास की फसल में यह मक्खियां पत्तियों की निचली सतह पर रहकर रस चूस कर पौधों कमजोर बना देती हैं। सफेद मक्खी पौधों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं जिससे फफूंद निकलने लगते हैं। सफेद मक्खी लगने पर पौधों की पत्तियां सुकड़कर मुड़ने लगती है।

शुरुआत में कपास में सफ़ेद-मक्खी की संख्या बहुत कम होती है परंतु यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है और बहुत ज्यादा नुकसान का कारण बनती है। सफेद-मक्खी (या व्हाइट फ्लाई) पौधे के रस को चूसती हैं और एक चिपचिपा पदार्थ उत्पन्न करती हैं जिसे हनीड्यू कहा जाता है, हनीड्यू के कारण पौधे में फंगल की बीमारियां हो जाती है। सफेद-मक्खी (या व्हाइट फ्लाई) के कारण, पौधे जल्दी ही बेहद कमजोर हो जाते है और प्रकाश संश्लेषण करने में असमर्थ हो जाते है। सफेद-मक्खी के कारण पत्तिया टूट कर गिरने लगती है या पिली पड़ जाती है और पौधे का विकास रुक जाता है

सफेद मच्छर/मक्खी के नियंत्रण हेतु सुमीटोमो केमिकल का “लेनो” 500 ML प्रति एकड़ के हिसाब से 1500 लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें। लेनो का स्प्रे करने के 5 दिन के अंदर ही आपको अपने कपास के खेत में उसका असर देखने को मिलेगा। ज्यादा अच्छे रिजल्ट के लिए लेनो के 2 स्प्रे 15 दिन के अंतराल पर करें। लेना देता है

Vegetative stages


Affected Time Period:
इस रोग का प्रकोप जुलाई से सितम्बर माह में अधिक होता है |