एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता रहता है।यह कीट लाल भूरे व सफेद शरीर वाले होते हैं जो पौधों की तनों में छेद करके अंदर अंदर खाता रहता है जिससे पौधा कुछ दिनों में खोखला हो जाता है और अंततः पौधे की मृत्यु हो जाती है।यह कीट पत्तियों और पत्तियों के सिरों पर हमला करता है और इसकी साइज की बात करें तो पूर्ण विकसित कीट 20 मिमी लंबा होता है जो गुच्छो में अपनी संख्या को बढ़ाता है जिससे पूरे फसलों में बहुत जल्दी इसके प्रकोप देखने को मिलता है।
पत्तियों पर अण्डों से निकलकर इल्ली तने पर आंखों के सहारे गन्ने में छेदकर प्रवेश करती हैं। पोरियों पर छोटे-छोटे छेद पाये जाते हैं जहां से यह बाहर निकलती हैं। आंखें अंकुरित हो जाती हैं। गन्ना सूखने लगता है।
डिमेथोएट का प्रयोग या एंडोसल्फान का उपयोग कर सकते हैं। दानेदार कीटनाशी कार्बोफ्यूरान, फोरेट का प्रयोग कर सकते है। Fipronil 80% WG-20 ग्राम प्रति एकड़ Flubendiamide 39 की 20 ml मात्रा एकड़।
Cane formation stage