Name | Image | Stages | Periods | Symptoms |
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धान | ![]() |
Reproductive stages | इस रोग का प्रकोप जुलाई से सितम्बर माह में अधिक होता है | | बीमारी का सबसे पहले प्रकोप धान के पौधे के तने पर होता है तथा उस पर कालिमा लिए हुए लंबे धब्बे पड़ने शुरू हो जाते हैं जो पौधे के एक-एक पत्ते को सुखा कर बाली में दूध लेकर जाने वाली पाइप गांठों को गला देते हैं तथा पौधा मर जाता है। खेत की डोल या मेड़ से यह बीमारी फैलती है। |
धान | ![]() |
Ripening stages | सितम्बर से यह रोग पाया जाता है | हरे–भूरे या पुआल के रंग के क्षत स्थल बन जाते हैं | |
चावल में सबसे आम और गंभीर रोग है शीथ ब्लाइट/पर्णच्छंद अंगमारी जो कि राइज़ोक्टोनिया सोलानी फफूंद के कारण होता है यह रोग अनाज की महत्वपूर्ण उपज और गुणवत्ता के नुकसान का कारण बनता है और अधिकांश अनुकूल वातावरण के तहत 50 प्रतिशत तक उपज कम करने में सक्षम है |
बीमारी का सबसे पहले प्रकोप धान के पौधे के तने पर होता है तथा उस पर कालिमा लिए हुए लंबे धब्बे पड़ने शुरू हो जाते हैं जो पौधे के एक-एक पत्ते को सुखा कर बाली में दूध लेकर जाने वाली पाइप गांठों को गला देते हैं तथा पौधा मर जाता है। खेत की डोल या मेड़ से यह बीमारी फैलती है।
रोग के लक्षण दिखाई देने पर प्रोपेकोनाजोल 20 मि.ली. मात्रा को 15 – 20 ली. पानी में घोलकर प्रति नाली की दर से छिडकाव करें | धान की खड़ी फसल में रोग दिखने पर इप्रोडाइन 25 % + कार्वेन्डाजिम 25 % डब्ल्यूपी@ 200 ग्राम प्रति एकड 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।