Name | Image | Stages | Periods | Symptoms |
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गन्ना | ![]() |
Vegetative stages | जुलाई से फसल के अन्त तक यह रोग पाया जाता है | प्रभावित बेंत पत्ती के रंग में परिवर्तन, हरे से नारंगी और फिर तीसरे या चौथे पत्ते में पीले रंग में दिखाई देते हैं। फिर पत्ते नीचे से ऊपर की ओर सूखने लगते हैं। यदि फफूंद बीजाणु पत्ती की मध्य शिरा के माध्यम से पत्ती के आवरण में प्रवेश करते हैं, तो पत्ती की मध्य शिरा के पीछे की ओर भी लाल रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं। बाहरी लक्षण संक्रमण के 16 से 21 दिनों के बाद ही दिखाई देते हैं और पूरी गन्ना सूखने में 10 दिन और लगते हैं। जब प्रभावित बेंत को खोला जाता है, तो भीतरी क्षेत्र लाल रंग का होता है और गन्ने की लंबाई में रुक-रुक कर सफेद रंग का होता है। कभी-कभी, बेंत के अंदर का गूदा काले भूरे रंग के तरल से भर जाता है और अल्कोहल की गंध प्रदर्शित करता है। |
इस रोग के सबसे पहले लक्षण वर्षा ऋतु के बाद दिखाई देते हैं यह रोग पौधे के ऊपरी सिरे से शुरू होता है. पौधा बढ़ना बंद कर देता है, पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और उस पर लाल रंग के धब्बे पड़ जाते हैं.
इस रोग के सबसे पहले लक्षण वर्षा ऋतु के बाद दिखाई देते हैं यह रोग पौधे के ऊपरी सिरे से शुरू होता है. पौधा बढ़ना बंद कर देता है गन्ने की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और उस पर लाल रंग के धब्बे पड़ जाते हैं.गन्ने का गूदा लाल रंग का दिखाई दे, साथ ही उसमें से सिरके की तरह सुगंध आ रही है, ऊपरी पत्तियाँ रंग खोना शुरू कर देता है गन्ना थोड़ा सा गिर जाता है। पूरा सिरा मुरझा जाता है
सांस्कृतिक तरीके(Cultural Methods ) – दो-तीन वर्ष बाद फसल का चक्रण भी उपयोगी होता है।रासायनिक नियंत्रण (Chemical Control ) -गन्ने की फसल पर कार्बेंडाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी को 1 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल तैयार कर 15 दिन में 2 बार छिड़कते रहें. गन्ने की फसल मे कोराजन(Coragen) 200 -250 मिली दवाई को 150 -200 पानी मे मिला क्र स्प्रे करना चाइये