Name | Image | Stages | Periods | Symptoms |
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लहसुन | vegetative stage | यह रोग पत्तियों पर या बीज के डंठल पर छोटे-छोटे जलसिक्त धब्बों के रूप में शुरू होता है | | यह रोग पत्तियों पर या बीज के डंठल पर छोटे-छोटे जलसिक्त धब्बों के रूप में शुरू होता है. बाद में इनका रंग भूरा हो जाता है, और बड़ा आकार ले लेते हैं तथा इनका रंग बैंगनी हो जाता है. इन धब्बों के चारों तरफ के घेरा बन जाता है. नम मौसम में धब्बों की सतह काली दिखाई देती है जो कि फफूंद के बीजाणु के कारण होती है. धब्बे जब बड़े हो जाते हैं तो पत्तियां पीली पडकर सूख जाती है. |
यह रोग एक फफुंद अल्टरनेरियां के कारण होता है. यह बीमारी प्याज एवं लहसुन में उगने वाले सभी क्षेत्रों में पाई जाती है| में इन दिनों प्याज और लहसुन की फसल में बैक्टीरियल ब्लाइट और पर्पल ब्लॉच रोग की समस्या देखने को मिल रही है।
यह रोग पत्तियों पर या बीज के डंठल पर छोटे-छोटे जलसिक्त धब्बों के रूप में शुरू होता है. बाद में इनका रंग भूरा हो जाता है, और बड़ा आकार ले लेते हैं तथा इनका रंग बैंगनी हो जाता है. इन धब्बों के चारों तरफ के घेरा बन जाता है. नम मौसम में धब्बों की सतह काली दिखाई देती है जो कि फफूंद के बीजाणु के कारण होती है. धब्बे जब बड़े हो जाते हैं तो पत्तियां पीली पडकर सूख जाती है.
इसके नियंत्रण हेतु कासुगामाइसिन +कॉपर ऑक्सिक्लोराइड की 40 ग्राम मात्रा प्रति पंप या मेटलैक्सिल मेंकोज़ेब की 35 ग्राम मात्रा प्रति पंप के मान से 15 दिन के अंतर से खड़ी फसल पर छिड़काव करें |