पछेती झुलसा


Alternate / Local Name:
पछेती झुलसा

Short Description:
पछेती झुलसा दिसंबर के अंत से जनवरी के शुरूआत में लग सकता है। इस समय आलू की फसल में पछेती झुलसा रोग लग सकता है। पछेती झुलसा आलू के लिए ज्यादा नुकसानदायक होता है। इस बीमारी में पत्तियां किनारे व शिरे से झुलसना प्रारम्भ होती है।
AFFECTED CROPS

Name Image Stages Periods Symptoms
आलू पछेती झुलसा दिसंबर के अंत से जनवरी के शुरूआत में लग सकता है | कंद बनाने के समय इस रोग का प्रभावित होता है | पत्तियों पर किनारे वाले भाग पर भूरे धब्बे शुरू होकर पौधों के अन्य भागों पर फ़ैल जाते है। अनुकूल परिस्थितियों में पौधों का सम्पूर्ण भाग नष्ट हो जाता है। पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद नजर आने लगते हैं। इस रोग के होने पर आलू की पैदावार में कमी आती है और कंदों का आकार भी छोटा रह जाता है।

पछेती झुलसा रोग फाइटोपथोरा नामक कवक के कारण होता है। इस रोग में पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं। प्रभावित पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद नजर आने लगते हैं। इस रोग के होने पर आलू की पैदावार में कमी आती है और कंदों का आकार भी छोटा रह जाता है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और कुछ दिनों में पूरी फसल नष्ट हो सकती है।

पत्तियों पर किनारे वाले भाग पर भूरे धब्बे शुरू होकर पौधों के अन्य भागों पर फ़ैल जाते है। अनुकूल परिस्थितियों में पौधों का सम्पूर्ण भाग नष्ट हो जाता है। पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद नजर आने लगते हैं। इस रोग के होने पर आलू की पैदावार में कमी आती है और कंदों का आकार भी छोटा रह जाता है।

बीज के उपचार के लिए, मेटालॅक्सील 8% + मैंकोजेब 64% @ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी वाले घोल तैयार करें. यह तैयार घोल को बीज कंद (Bulb) पर स्प्रे कर सकते हैं या बीज कंद को 30 मिनट के लिए इस घोल में डूबा कर बुवाई की जा सकती है| इसके उपचार के लिए खेत में जैविक स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस की 250 ग्राम मात्रा को 100 किलो गोबर की खाद (FYM) में मिलाकर एक एकड़ खेत में बिखेर दे. रसायनिक उपचार द्वारा एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC (कस्टोडिया)की 300 मिली मात्रा या (कवच) क्लोरोथालोनिल 75% WP की 400 ग्राम या कीटाजिन (Kitazin) 48% EC की 300 मिली मात्रा या मेटालैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% WP की 600 ग्राम प्रति एकड़ खेत में 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें. इसके अलावा 15 लीटर पानी में 35 से 40 ग्राम एन्ट्राकॉल मिला कर छिड़काव करें।