बैक्टीरियल विल्ट


Alternate / Local Name:
बैक्टीरियल विल्ट

Short Description:
बैक्टीरियल विल्ट (bacterial wilt) रोग एक जीवाणु राल्सटोनिया(Ralstonia) (स्यूडोमोनास) सोलानेसीरम(solanacearum)नामक जीवाणु के कारण होता है |
AFFECTED CROPS

Name Image Stages Periods Symptoms
NA Vegetative stages

इस जीवाणु के कारण 33 पौधों के फैमिली के 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला इस रोग से प्रभावित होती है.सोलानेसी फैमिली के अन्य पौधे जैसे टमाटर, आलू, बैंगन और तंबाकू अतिसंवेदनशील पौधों में से हैं |

86-95 डिग्री फारेनहाइटFahrenheit की गर्मियों में , फल देने वाले पौधे ज्यादा प्रभावित होते हैं. दोपहर के समय जब तापमान अधिकतम होता है उस समय पूरा पौधा या पौधे का कोई हिस्सा मुरझाया हुवा दिखाई देता है , और जब अगले दिन सुबह देखेंगे तो वह स्वस्थ दिखेगा . इस पर अक्सर ध्यान नहीं जाता. इसके तुरंत बाद, पूरा पौधा अचानक मुरझा जाता है और मर जाता है. ऐसे नाटकीय लक्षण तब होते हैं जब मौसम गर्म होता है (86-95 डिग्री फारेनहाइट), और मिट्टी में नमी भरपूर होती है. कम अनुकूल परिस्थितियों में, विल्ट की गति धीमी होती है, और कई जड़ें अक्सर निचले तनों पर बनती हैं. दोनों ही मामलों में, एक भूरे रंग का मलिनकिरण discolorationमौजूद रहता है. जड़ें क्षय की अलग-अलग डिग्री प्रदर्शित करेंगी |

रोपण से पहले सीडलिंग को ब्लाइटॉक्स 50 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में एवं स्ट्रेप्टोसाइकिलिन(streptocycline) की 1 ग्राम मात्रा को प्रति 3 लीटर पानी के घोल में डूबा कर रोपण करना चाहिए एवं रोग के शुरुवाती लक्षणों के दिखाई देते ही इसी घोल से आसपास की मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भींगा देना चाहिए 10 दिन के बाद पुनः दुहराए |