दीमक भूमि के अंदर अंकुरित पौधों को चट कर जाती हैं। कीट जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को खाते हैं। प्रकोप अधिक होने पर ये तने को भी खाते हैं। इस कीट का वयस्क मोटा होता है, जो धूसर भूर रंग का होता है और इसकी लंबाई करीब भ्.भ्म् मिलीमीटर होती है।
कीट की सूड़ियां मिट्टी की बनी दरारों अथवा गिरी हुई पत्तियों के नीचे छिपी रहती हैं। रात के समय निकलकर पौधो की पत्तियों या मुलायम तनों को काटकर गिरा देती है। आलू के अलावा टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, सरसों, राई, मूली,गेहू आदि फसलो को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।
खेत में कच्चे गोबर का प्रयोग नहीं करना चाहिए. फसलों के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिए. नीम की खली 10 कुन्तल प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई से पूर्व खेत में मिलाने से दीमक के प्रकोप में कमी आती है. भूमि शोधन हेतु विवेरिया बैसियाना 2.5 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से 50-60 किग्रा0 अध सडे गोबर में मिलाकर 8-10 दिन रखने के उपरान्त प्रभावित खेत में प्रयोग करना चाहिए.खड़ी फसल में प्रकोप होने पर सिंचाई के पानी के साथ क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 2.5 ली0 प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें |
Sowing Stage