गिलकी
Short Description:
गिलकी की खेती पुरे भारत में की जाती है, लेकिन तोरई की खेती मुख्य उत्पादक राज्य केरल, उड़ीसा, कर्नाटक, बंगाल और उत्तर प्रदेश है, यह बेल पर लगने वाली सब्जी होती है, इसकी सब्जी की भारत में छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों में बहुत मांग है, क्योंकि यह अनेक प्रोटीनों के साथ खाने में भी स्वादिष्ट होती है, जिसे हर मनुष्य इसकी सब्जी को पसंद करता है।
Climate:
गिलकी की सफल खेती के लिए उष्ण और नम जलवायु उत्तम मानी गई है, अंकुरण और फसल बढवार के लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापक्रम होना अतिअवाश्यक है।
Soil Type:
इसे मिट्टी की कई किस्मों में उगाया जा सकता है। रेतली दोमट मिट्टी में उगाने पर यह अच्छे परिणाम देती है। मिट्टी की pH 6.5-7.0 होनी चाहिए या इसकी रोपाई के लिए थोड़ी क्षारीय मिट्टी भी अच्छी रहती है।
Soil Treatment:
इसके उपयोग के लिए 8 -10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद लेते हैं तथा इसमें 2 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडी और 2 किलो ब्यूवेरिया बेसियाना को मिला देते हैं एवं मिश्रण में नमी बनाये रखते हैं. यह क्रिया में सीधी धूप नहीं लगनी चाहिए. अतः इसे छाव या पेड़ के नीचे करते हैं. नियमित हल्का पानी देकर नमी बनाये रखना होता है
Seed Treatment:
रेती की मदद से बीजों को रगड़कर उनका ऊपरी छिल्का उतार लें। उसके बाद बीजों की व्यवहारिकता और अंकुरण प्रतिशतता बढ़ाने के लिए उन्हें 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें।
Seed Rate:
2.0 किलो बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
Time of Sowing:
वर्ष में दो बार इसके बीजों को बोया जाता है। बिजाई के लिए उपयुक्त समय मध्यम फरवरी से मार्च का महीना है और दूसरी बार बिजाई के लिए मध्य मई से जुलाई का समय उपयुक्त है।
Method of Sowing:
तोरई की खेती 2.5 से 3 मीटर की दूरी पर नालियाँ बनाकर इसकी बुवाई करते है और जो मेड़ें बनती है, उसमे 50 सेंटीमीटर की दूरी पौधे से पौधे रखते हुए इसकी बुवाई करते है, बीज की गहराई 3 से 4 सेंटीमीटर रखें।
Fertilizers :
खेत की तैयारी के समय नाइट्रोजन 40 किलो (यूरिया 90 किलो), फासफोरस 20 किलो (एस एस पी 125 किलो) और पोटाशियम 20 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 35 किलो) को शुरूआती खुराक के तौर पर डालें। बिजाई के समय नाइट्रोजन के 1/3 हिस्से के साथ फासफोरस और पोटाश डालें। बेलों के शुरूआती विकास के समय या बिजाई के 1 महीने बाद बाकी की मात्रा डालें।
Water Requirements :
गर्मियों और सूखे हालातों में 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें और बारिश के मौसम में सीमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बीज बोने के तुरंत बाद की जाती है। कुछ फसल को 7-8 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
Harvest Time:
बिजाई के 70-80 दिनों के बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। 3-4 दिनों के अंतराल पर तुड़ाई करें। नर्म और मध्यम आकार के फलों की तुड़ाई करनी चाहिए। इसकी औसतन पैदावार 66-83 क्विंटल प्रति एकड़ होती है।