फल में बहुत छोटे छोटे छिद्र एवं भूरा धब्बा स्पष्ट दिखाई देता है | संक्रमण क्षेत्र में फल धीरे-धीरे सड़ने लगता है | सड़ा हुआ फल वृक्ष से नीचे गिर जाता है, अगर समय रहते इन फलो को वृक्ष या जमीन पर से एकत्र करके नष्ट नहीं किया जाता है तो यह तरह तरह के कवको को आकर्षित करते हैं जिससे कई प्रकार के रोगों की सम्भावना रहती है |
फल मक्खी फल के साथ साथ फूल पर भी नुकसान करती है। इसमें यह मक्खी फूल अवस्था में फूलो में अंडे देती है और फल की जो बढ़वार होती है उस समय यह नुकसान करती है, इसके कारण फल की बढ़वार नहीं होती और उत्पादन में भी कमी आती है। फल मक्खी की इल्ली फल को अंदर से खाती है। उससे फल पकने से पहले ही गिर जाते है। उसके बाद फल मक्खी के इल्ली के नुकसान होने से फलो में से भूरे रंग का चिपचिपा द्रव का बहता है और फल टेढ़े मेढ़े हो जाते है। फल मक्खी से होने वाले नुकसान:- ◆फल मक्खी अंडे देने के लिए फलों में छेद करती हैं। जिससे फलों में छेद नजर आने लगते हैं। ◆कीट की इल्लियां फलों को अंदर से खाती हैं। ◆प्रभावित फलों का आकार टेढ़ा हो जाता है। ◆कीट का प्रकोप बढ़ने पर फल सड़ने लगते हैं। ◆कुछ इल्लियां फलों के साथ सब्जियों की बेल को भी खाती हैं, जिससे बेलों में गांठ बन जाते हैं।
रासायनिक नियंत्रण के लिए डेल्टामैथ्रिन घटकयुक्त डेसिस 100 @ 1 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे। ◆क्विनोलफोस @ 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे। ◆प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी घटक युक्त हेलिओक्स @ 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे।