Name | Image | Stages | Periods | Symptoms |
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खीरा | ![]() |
यह रोग किसी भी अवस्था में लग सकता है | पौधों में डाउनी मिल्ड्यू रोग का सर्वप्रथम लक्षण उस समय दिखाई देता है जब पौधा अपनी दुसरी या तीसरी पत्तियों की अवस्थाओं में होती है। | रोग लक्षण के रूप में देखा जाये तो सर्वप्रथम पौधों की पूरानी पत्तियों के निचली सतह पर एक हरे से पीले रंग के धब्बा बनता है जो अनिश्चित आकर के एवं बिखरे हुए हो सकते है। समय के साथ यह धब्बा बढते हुए पीलें रंग से भूरे रंगों में बदल जाते है। |
पौधों में डाउनी मिल्ड्यू रोग का सर्वप्रथम लक्षण उस समय दिखाई देता है जब पौधा अपनी दुसरी या तीसरी पत्तियों की अवस्थाओं में होती है। रोग लक्षण के रूप में देखा जाये तो सर्वप्रथम पौधों की पूरानी पत्तियों के निचली सतह पर एक हरे से पीले रंग के धब्बा बनता है जो अनिश्चित आकर के एवं बिखरे हुए हो सकते है। समय के साथ यह धब्बा बढते हुए पीलें रंग से भूरे रंगों में बदल जाते है। प्रारंभ में यह धब्बे पत्तियों के निचली सतह पर ही बनते है लेकिन बाद मे यह धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर भी दिखाई देने लगता है।
रोग लक्षण के रूप में देखा जाये तो सर्वप्रथम पौधों की पूरानी पत्तियों के निचली सतह पर एक हरे से पीले रंग के धब्बा बनता है जो अनिश्चित आकर के एवं बिखरे हुए हो सकते है। समय के साथ यह धब्बा बढते हुए पीलें रंग से भूरे रंगों में बदल जाते है। प्रारंभ में यह धब्बे पत्तियों के निचली सतह पर ही बनते है लेकिन बाद मे यह धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर भी दिखाई देने लगता है।
रोग का प्रकोप अधिक होने पर अजॉक्सीस्ट्रोबिन 23% SC @ 200 मिली० मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल पर छिड़काव करें। मैंकोजेब इस रोग के नियंत्रण के लिए सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला रसायन है। फिर भी आप चाहे मेटालेक्सिल या कापर आक्सीक्लोराइड आदि रासायन का उपयोग इस रोग के नियंत्रण मे कर सकते है।