मिर्च
Short Description:
यह भारत की एक महत्तवपूर्ण फसल है। मिर्च को कड़ी, आचार, चटनी और अन्य सब्जियों में मुख्य तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसकी काफी औषधीय विशेषताएं भी हैं इसमें कैंसर रोधी और तुरंत दर्द दूर करने वाले तत्व पाए जाते हैं। यह खून को पतला करने और दिल की बीमारियों को रोकने में भी मदद करती है। मिर्च विटामिन का उच्च स्त्रोत है। भारत, संसार में मिर्च पैदा करने वाले देशों में मुख्य देश हैं। आंध्र प्रदेश, महांराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, तामिलनाडू, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान मिर्च पैदा करने वाले भारत के मुख्य राज्य हैं।
Climate:
वर्षा-625-1500mm
बुवाई का तापमान-35-40°C
कटाई का तापमान-35-40°C
Soil Type:
मिर्च रेतली से भारी चिकनी हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। अच्छे विकास के लिए हल्की उपजाऊ और पानी के अच्छे निकास वाली ज़मीन जिसमे नमी सोखने की क्षमता हो, इसके लिए अनुकूल होती है। हल्की ज़मीनें भारी ज़मीनों के मुकाबले अच्छी क्वालिटी की पैदावार देती हैं। मिर्च के अच्छे विकास के लिए ज़मीन की pH 6-7 अनुकूल है।
Soil Treatment:
इसके उपयोग के लिए 8 -10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद लेते हैं तथा इसमें 2 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडी और 2 किलो ब्यूवेरिया बेसियाना को मिला देते हैं एवं मिश्रण में नमी बनाये रखते हैं. यह क्रिया में सीधी धूप नहीं लगनी चाहिए. अतः इसे छाव या पेड़ के नीचे करते हैं. नियमित हल्का पानी देकर नमी बनाये रखना होता है
Seed Treatment:
बिजाई से पहले बीज को 3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेनडाज़िम से प्रति किलो बीज का उपचार करें। रासायनिक उपचार के बाद, बीज को 5 ग्राम ट्राइकोडरमा या 10 ग्राम सीडियूमोनस फ्लोरीसैन्स से प्रति किलो बीज का उपचार करें और छांव में रखें। फिर यह बीज, बिजाई के लिए प्रयोग करें।
Seed Rate:
किस्मों के लिए 200 ग्राम बीज और हाइब्रिड के लिए 80-100 ग्राम बीज प्रति एकड़ में प्रयोग करें।
Time of Sowing:
मिर्च की खेती पूरे वर्ष की जाती है। खरीफ की फसल के लिए मई-जून और गर्मियों की फसल के लिए फरवरी - मार्च का समय मिर्च की रोपाई के लिए उपयुक्त होता है।
Method of Sowing:
इसकी मुख्य खेत में रोपाई की जाती है|
1 मीटर चौड़े और आवश्यकतानुसार लंबे बैड बनाएं। कीटाणु रहित कोकोपिट 300 किलो, 5 किलो नीम केक को मिलाए और 1-1किलो एज़ोसपीरिलियम और फासफोबैक्टीरिया भी डालें। उपचार किए हुए बीज ट्रे में एक बीज प्रति सैल बोयें। बीज को कोकोपिट से ढक दें और ट्रे एक- दूसरे के साथ रखें। बीज अंकुरन तक इन्हें पॉलीथीन से ढक दें।
Fertilizers :
बारानी क्षेत्रों के लिए, नाइट्रोजन 50 किलो (110 किलो यूरिया), फासफोरस 16 किलो (सिंगल सुपर फासफेट 100 किलो) और पोटाश 20 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 35 किलो) प्रति एकड़ डालें। नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फासफोरस और पोटाश की पूरी मात्रा पनीरी खेत में लगाने के समय डालें। रोपाई के बाद बाकी बची नाइट्रोजन दो बराबर हिस्सों में 30वें और 50वें दिन डालें।
सिंचित क्षेत्रों के लिए, नाइट्रोजन 84 किलो (182 किलो यूरिया), फासफोरस 24 किलो (सिंगल सुपर फासफेट 150 किलो) और पोटाश 24 किलो (म्यूरेट ऑफ पोटाश 40 किलो) प्रति एकड़ डालें। रोपाई से पहले 24 किलो नाइट्रोजन (यूरिया 52 किलो), फासफोरस की पूरी मात्रा और पोटाश की आधी मात्रा प्रति एकड़ में डालें। बाकी बची नाइट्रोजन को पांच भागों में बांटें और पोटाश को तीन बराबर भागों में बांटें। नाइट्रोजन 12 किलो (यूरिया 26 किलो) को बिजाई के बाद 45वें, 60वें, 75वें, 95वें और 115वें दिन डालें और पोटाश 4 किलो को बिजाई के बाद 45वें, 60वें, और 75वें दिन डालें।
Water Requirements :
मिट्टी में नमी के आधार पर सर्दियों में 6-7 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। फूल निकलने की अवस्था सिंचाई के लिए गंभीर होती है। इस अवस्था पर पानी की कमी से फल गिरते हैं जिससे फलों के उत्पादन में कमी होती है। विभिन्न खोजों में यह पाया गया है, कि प्रत्येक पखवाड़े में आधा इंच सिंचाई से जड़ों में नमी ज्यादा होती है जिससे वे अधिक उपज देती हैं।
Harvest Time:
मिर्चों की तुड़ाई हरा रंग आने पर करें या फिर पकने के लिए पौधे पर ही रहने दें। मिर्चों का पकने के बाद वाला रंग किस्म पर निर्भर करता है। अधिक तुड़ाइयां लेने के लिए यूरिया 10 ग्राम प्रति लीटर और घुलनशील K @ 10 ग्राम प्रति लीटर पानी (1 प्रतिशत प्रत्येक का घोल) की स्प्रे 15 दिनों के फासले पर कटाई के समय करें। पैकिंग के लिए मिर्चें पक्की और लाल रंग की होने पर तोड़ें। सुखाने के लिए प्रयोग की जाने वाली मिर्चों की पूरी तरह पकने के बाद ही तुड़ाई करें।