कामलिया कीट के शरीर पर घने बाल रहते हैं इसलिए उसे कामलिया कीट या रोमिल इल्ली कहा जाता हैं। स्थानीय भाषा में इसे कुतरा, घोघला या कंबल कीट के नाम से जाना जाता है। यह सभी फसलों को नुकसान पहुंचाता है। खासकर उड़द, मूंग, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन, अरहर व कपास पर इसका असर ज्यादा होता है। मानसून की भारी वर्षा होने से इस कीट की सुषुप्तावस्था समाप्त होती है और पंखी (तितली) भूमि से बाहर आती है और कोमल पत्तियों पर अंडे देती है और अपना विस्तार करती रहती है। इस कीट के प्रकोप से फसल को काफी नुकसान होता है और पैदावार में भारी गिरावट आती है।
कामलिया कीट कुछ समय में ही फसल के तने व डंठल को छोडक़र पत्तियों को खाकर नष्ट कर देता है। यह सभी फसलों को नुकसान पहुंचाता है। खासकर उड़द, मूंग, मूंगफली, मक्का, सोयाबीन, अरहर व कपास पर इसका असर ज्यादा होता है। मानसून की भारी वर्षा होने से इस कीट की सुषुप्तावस्था समाप्त होती है और पंखी (तितली) भूमि से बाहर आती है और कोमल पत्तियों पर अंडे देती है और अपना विस्तार करती रहती है।
75 लीटर पानी में 15 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर पौधों पर छिडकाव करना चाहिए | 5 लीटर मठे मे एक किलो नीम और धतूरे के पत्ते डालकर 10 दिन तक सडाने के बाद उसे पानी में मिलाकर पौधों पर 10 दिन के अंतराल में दो बार छिडकाव करें | 5 किलो नीम पत्तियों को तीन लीटर पानी में मिलाकर एक रात तक भिगों दें. उसके बाद उस पानी को इतना उबालें की मिश्रण आधा रहा जाएँ. और जब मिश्रण ठंडा हो जाएँ तब उसे छानकर अलग कर लें. इस तरह प्राप्त घोल को 150 से 160 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिडकाव करें |